दिल्ली-एनसीआर के हृदय में स्थित द्वारका एक्सप्रेसवे पर एक नई तकनीक दस्तक दे रही है जिसका नाम है सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम। इस प्रणाली के तहत टोल का भुगतान बिना किसी रुकावट के सीधे वाहन चालकों के खाते से कट जाएगा
जिससे यात्रा में आसानी होगी और समय की बचत होगी। इस तकनीक को पहली बार भारत के किसी शहरी एक्सप्रेसवे पर लागू किया जा रहा है।
एक्सप्रेसवे की विशेषताएं और महत्व
द्वारका एक्सप्रेसवे जिसे हाल ही में देश के प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित किया गया था जो की 18 किलोमीटर लंबा है और इसने गुरुग्राम से दिल्ली के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए यात्रा का समय काफी कम कर दिया है।
यह एक्सप्रेसवे न केवल यात्रा को आसान बनाता है बल्कि इससे पर्यावरण पर भी कम दबाव पड़ता है क्योंकि वाहनों को कम समय तक इंजन चलाने की आवश्यकता होती है।
सैटेलाइट तकनीक के लाभ
इस आधुनिक तकनीक के जरिए टोल कलेक्शन में आसानी होगी क्योंकि यह सीधे सैटेलाइट के माध्यम से वाहनों की आवाजाही का पता लगाता है और उसी के अनुसार चार्ज करता है। इससे टोल प्लाजा पर लंबी कतारें और वाहनों की भीड़ नहीं होगी जिससे प्रदूषण और समय की बर्बादी दोनों में कमी आएगी।
टोल कैसे कटेगा?
वाहन चालकों के लिए यह प्रक्रिया बहुत ही सहज होगी। एक्सप्रेसवे पर प्रवेश करते ही उनकी गाड़ी का नंबर और प्रकार ऑटमैटिक रूप से एनएचएआई के डेटाबेस में दर्ज हो जाएगा और उसी आधार पर टोल की राशि उनके खाते से कट जाएगी। यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शी होगी बल्कि यात्रियों को टोल गेट पर नहीं रुकना पड़ेगा जिससे उनका समय बचेगा।