करोड़ों रुपए का खर्चा करके पानी के अंदर से होकर बनाया भूतहा ब्रिज, अब ब्रिज को इस्तेमाल करने से भी डरते है लोग

जब हम बात करते हैं आधुनिक इंजीनियरिंग के अजूबों की तो हॉन्गकॉन्ग झुहाई मकाओ ब्रिज एक ऐसी ही कृति है जो हमारी सोच से भी परे है। यह ब्रिज जो हॉन्गकॉन्ग, मकाओ और चीन को जोड़ता है अपने 55 किलोमीटर लंबाई के साथ न सिर्फ विश्व के सबसे लंबे समुद्री पुलों में से एक है बल्कि इसकी बनावट भी अनोखी है। इस ब्रिज की लागत लगभग 1582 खरब रुपये रही है। इसे बनाने का मुख्य उद्देश्य इन तीनों शहरों को आपस में जोड़ना और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना था।

आने वाली चुनौतियाँ

इतने विशाल निवेश और शानदार डिजाइन के बावजूद इस ब्रिज का उपयोग अपेक्षा कम होता है। इसका मुख्य कारण है इस ब्रिज को उपयोग करने की प्रक्रिया में जटिलता। यात्रियों को इस ब्रिज के माध्यम से यात्रा करने के लिए विभिन्न प्रकार के परमिट और लाइसेंस हासिल करने पड़ते हैं जिसमें कम से कम 12 दिन लगते हैं। इसके अलावा प्रतिदिन केवल 150 निजी कारों को ही ब्रिज में प्रवेश की इजाजत होती है।

आवेदन प्रक्रिया कठोर

आवेदकों को न केवल हॉन्गकॉन्ग से क्लोज्ड रोड पर्मिट हासिल करना होता है बल्कि मकाओ की लायसेंस प्लेट और मकाओ या चीन की कार इंश्योरेंस भी हासिल करनी होती है। इतना ही नहीं आवेदक को हॉन्गकॉन्ग का स्थायी निवासी होने के साथ-साथ मकाओ में काम करना भी अनिवार्य है। इस पूरी प्रक्रिया की जटिलता और समय लेने वाली प्रक्रिया के कारण बहुत से लोग इस ब्रिज का उपयोग करने से कतराते हैं।